लेखनी कहानी -10-Dec-2022
प्रियसी जरूरी तो नहीं जीवन संगिनी हो
जिससे तुम अपना दुख दर्द बांट सको
जिसकी आंखों में तुम आंखे डाल सको
जिस पर तुम अपना हक जता सको
कह सको जिसको आज परेशान हूं
वही है सच्ची प्रियसी तुम्हारी प्रियसी
चाहे फिर वो किताबें हो या हो तुमरी रूह
या हो तुम्हारी यादें या फिर हो आईना
जो वक्त पड़ने पर साथ दे वही है प्रियसी
बात करो अगर मेरी तो लेखनी है मेरी प्रियसी
यही है जो मेरे दुख सुख में मेरे साथ है
सुनती है मुझे बस कुछ नहीं कहती ये
मेरे एहसासों को देकर रूप ये
मेरे भावों को बाहर लाती है
हां लेखनी ही है मेरी प्रियसी
सब रिश्ते झूठे सच्ची है ये प्रियसी
सारे बंधन टूटे न छोड़े ये प्रियसी
Gunjan Kamal
11-Dec-2022 02:22 PM
बहुत ही सुन्दर
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Mahendra Bhatt
11-Dec-2022 09:01 AM
बहुत ही सुन्दर
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Pranali shrivastava
10-Dec-2022 07:28 PM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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